भारत माँ करे पुकार
भारत का दुर्भाग्य यह
भ्रष्टाचार व्याप्त रहा है,
कही दूर आसमाँ में यारों
शहीदों की टोली रो रहा है ।
खून से सींची धरती जिन्होंने
मौत की गोद मे जाकर सोये हैं,
भ्रष्ट नेताओं के करनी से देखो
शहीदों के आत्मा भी रोये हैं ।
अधूरा है ख्वाब भगत का आज
नही सुभाष का पूरा स्वप्न हुआ है,
किसकी है आत्मा यहाँ वेदना उठाती,
किसकी रुदन की आवाज आ रहा है।
आजाद ,भगत सुनिये जरा क्रदन को
यह देश पुनः आपको वापस बुला रहा है ,
निराधम पापी धरती माँ को सता रहा है ।
आओ अब फिर से इंसाफ करो इनका
या नवयुवकों में चेतना का संचार करो,
या तो खुद आओ भगत,आजाद जी
या फिर युवाओं की टोली तैयार करो।
उठा लो बंदूकें युद्ध का सन्धान करो
किसी तरह से पापियों का संघहार करो,
समय की माँग यही भारत माँ करती है
दुश्मनों को निपटाने के अब यत्न करो ।
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